मेरी किताब-ए-दिल में मत पूछ क्या लिखा है धडकन का हर इक पन्ना तेरे नाम से सजा है जीवन हुआ है रोशन मेरा उम्मीद के दियों से जब से चला तेरी मोहब्बत का सिलसिला है तेरे बगैर इक पल अब जीना है मेरा मुश्किल बनकर लहू तू मेरी तो नस नस में बह रहा है … Continue reading मेरी किताब-ए-दिल
Category: गज़ल
दिलों पर सितम फरमाए जाते हैं
जो धोखा देते हैं अक्सर गले लगाए जाते हैं मोहब्बत करने वालों पर सितम फरमाए जाते हैं महल में रहते हैं आजकल नफरत के सौदागर प्यार वाले तो बस दीवारों में ही चुनवाए जाते हैं जुबां पर प्यार रखते हैं साथ ही हाथों में खंजर इस जमाने में बहुत से ऐसे लोग भी पाए जाते … Continue reading दिलों पर सितम फरमाए जाते हैं
दिलों में मोहब्बत होनी चाहिए
ना तो दिलों में दुश्मनी ना ही नफरत होनी चाहिए दो दिन की जिन्दगी में बस मोहब्बत होनी चाहिए प्यार देने वालों को बदले में वापस प्यार ही देना दुनिया में यार अब इतनी तो शराफत होनी चाहिए पल भर में ना तोडो रिश्ते आखिर रिश्तों के पास गलतफहमी दूर हो इतनी तो मोहलत होनी … Continue reading दिलों में मोहब्बत होनी चाहिए
और इन्तजार हो न पाएगा
इक बार हो गया है हर बार हो न पाएगा यूँ रोज रोज हमसे इन्तजार हो न पाएगा एकमुश्त दे सको हमें प्यार गर तो बोलो किश्तों में यार हमसे ये प्यार हो न पाएगा माना कि जहां भर को है तेरी तलब लेकिन मुझ जैसा कोई तेरा तलबगार हो न पाएगा रुख से जरा … Continue reading और इन्तजार हो न पाएगा
तेरे बिना मैं जी सकूँ हूँ
मेरे लिए तुझे रब ने बनाया सारी दुनिया माने है तेरे बिना अब मैं जी न सकूँ हूँ तू भी तो ये जाने है दौलत अपने पास ही रखे दुनिया क्योंकि मेरे पास तेरी मोहब्बत तेरी हँसी दो सबसे बडे खजाने हैं यूँ तो बहुत हैं रिश्ते नाते इस दुनिया में कहने को पर इनमें … Continue reading तेरे बिना मैं जी सकूँ हूँ
नजरें फेरती क्यों हो
बन के साया मोहब्बत का हमें घेरती क्यों हो नजर में रहती हो मेरी तो नजरें फेरती क्यों हो गर डर लगता है तुमको मोहब्बत की आग से फिर इस आग को हँस हँस के छेडती क्यों हो माना कि है परहेज तुमको हम इश्क वालों से तो भला हुस्न की ये खुशबुएँ बिखेरती क्यों … Continue reading नजरें फेरती क्यों हो
उफ ! ये मोहब्बत
कुछ इस तरह से मोहब्बत ने फँसाया हमको न कभी गिरने दिया और न ही उठाया हमको कश्मकश की डोरी में यूँ बाँधकर उसने रखा न बसा दिल में मेरे न दिल में बसाया हमको किसी जालिम के लिए रात दिन जले थे हम आज दुनिया के लिए उसने बुझाया हमको हमें छोडकर सब उसको … Continue reading उफ ! ये मोहब्बत
तेरी दो निगाहें
तेरी ये दो निगाहें क्या कमाल करती हैं इक बार में मुझसे सौ सवाल करती हैं जालिम उठ के कभी तो कभी झुककर रोज दिल के शहर में ये बवाल करती हैं तिरछी होकर कभी तो जान लेती हैं ये कभी शर्म-ओ- हया से निहाल करती हैं अब कोई जिए तो जिए कोई मरे तो … Continue reading तेरी दो निगाहें
तेरी हर याद मेरे दिल में सलामत होगी
तेरी हर याद मेरे दिल में सलामत होगी तब तक जब तक कि न कयामत होगी मैं जूझता रहूँगा किस्मत से तेरी खातिर कभी तो मुझपे किस्मत की इनायत होगी दिल लगाया था तभी सोच लिया था मैनें इक न इक रोज जमाने से बगावत होगी पूजता होगा जमाना रब को मगर मेरे लिए तेरी … Continue reading तेरी हर याद मेरे दिल में सलामत होगी
बेवफा पे भी प्यार आता है
वो बेवफा मुझे यूँ याद बार बार आता है उसकी बेवफाई पे भी मुझे प्यार आता है वैसे तो मुस्कुराने का शौकीन बहुत हूँ पर अश्क भी आँखों में बेशुमार आता है जब से उसने फेरा है मुँह मेरी नजर से ना चैन कहीं ना तो कहीं करार आता है उसके दिए हर एक जख्म … Continue reading बेवफा पे भी प्यार आता है