एक पेंटर था उसने एक बहुत ही खूबसूरत पेंटिंग बनाई और बाजार मे उसे बेचने के लिए गया । जहां उस पेंटिंग की कीमत पाँच हजार लगी । उस आदमी ने सोचा की ये तो मामूली सी पेंटिंग है जिसे मैंने अपनी सोच अनुसार बनाई है क्यो न इसे घर लेकर चलूँ और इसमे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों की मदद से कुछ और सुधार कर लू जिससे इसकी कीमत कुछ बढ़ जाए । वह घर आ गया और एक एक करके सारे दोस्तों और रिशतेदारों को बुलाकर उसने सबकी राय के हिसाब से अपनी पेंटिंग मे परिवर्तन कर लिया। सबसे बड़ी बात यह हुयी की उसने सबकी सलाह मानी ताकि सब उसके घर से खुश होकर जाए । अगले दिन वह फिर बाजार पहुंचा और उस दिन उसकी पेंटिंग का कोई खरीददार ही नहीं मिला और जो मिले भी उन्होने उसकी पेंटिंग को रद्दी के भाव खरीदना चाहा । दरअसल हुआ क्या था की लोगो की सलाह मानने और लोगो को खुश करने के लिए उस आदमी ने अपनी पेंटिंग मे इतने परिवर्तन कर लिए की पेंटिंग ही पूरी खराब हो गई । अब उस व्यक्ति को बहुत पछतावा हो रहा था की उसने लोगों की हर सलाह मान कर बहुत बड़ी गलती कर दी उसे सबको खुश करने के लिए सबकी सलाह न मानकर केवल उन्ही की सलाह माननी चाहिए थी जो उसकी पेंटिंग मे खूबसूरती को बढ़ा सकते थे । सबकी सलाह मानकर उसने बहुत बड़ी गलती कर दी और अपना पाँच हजार का नुकसान कर लिया ।
दोस्तों ये छोटी सी कहानी हमको सिखाती है की हर सलाह को मान लेना बुद्धिमानी नहीं होती है हमे वही सलाह माननी चाहिए जो हमे फायदा पहुंचाए । यदि फायदा न पहुंचाए तो कम से कम नुकसान तो न ही पहुंचाए । हमारी ज़िंदगी के बहुत सारे फैसले हम लोगों की सलाह पर ले लेते हैं , अरे भाई जिंदगी हमारी है तो फैसले भी हमारे ही होने चाहिए । हाँ सुननी चाहिए सबकी लेकिन फैसले अपने दिमाग से लेनें चाहिए ।