तेरी हर याद मेरे दिल में सलामत होगी

तेरी हर याद मेरे दिल में सलामत होगी
तब तक जब तक कि न कयामत होगी
मैं जूझता रहूँगा किस्मत से तेरी खातिर
कभी तो मुझपे किस्मत की इनायत होगी
दिल लगाया था तभी सोच लिया था मैनें
इक न इक रोज जमाने से बगावत होगी
पूजता होगा जमाना रब को मगर मेरे लिए
तेरी मोहब्बत ही सबसे बडी इबादत होगी
कम नहीं होगा मेरा दर्द-ए-दिल दवाओं से
तू जब आएगा तभी यार मुझे राहत होगी
‘राज’ चाहा है तुझे दिल ने बडी शिद्द्त से
अब तेरे बाद किसी की भी न चाहत होगी
तेरी हर याद मेरे दिल में सलामत होगी
तब तक जब तक कि न कयामत होगी

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