इश्क में दूरियां मिलीं

इतना न झूठी दुनिया में मशहूर हो जाओ
ठोकर लगे जब सच की तो चूर हो जाओ
माना कि है दौलत तुम्हारे पास पर इतना
मगरूर मत होना कि सबसे दूर हो जाओ

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माना तेरी महफिल में आया हूँ अभी मैं
लेकिन तेरी फितरत से भी अन्जान नहीं हूँ
तेरे इरादे नेक हैं या काला है तेरा दिल
मैं समझूँ ना अजी इतना भी नादान नहीं हूँ

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पहले तो नहीं थे आज कैसे मगरूर हो गए
दिल तोडने पे आखिर क्यों मजबूर हो गए
तुमने किया था वादा मुझे दिल में रखने का
फिर ऐसा क्या हुआ जो दिल से दूर हो गए

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हमने सुना था इश्क में मिलती है खुशी भी
लेकिन हमें तेरे इश्क़ में मजबूरियां मिलीं
कहते हैं दूर रहकर भी दिल पास रहते हैं
फिर पास रहकर हमको क्यों ये दूरियां मिलीं

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यूँ जिन्दगी का साथ निभाते चले गए
हर बुझते हुए दिये को जलाते चले गए
तुम देते गए मुझको नया दर्द रोज रोज
और हम थे कि सिर्फ मुस्कुराते चले गए

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