मैं वक्त हूँ

आगे किसी के भी झुकता नहीं मैं
रुक जाए कुछ भी पर रुकता नहीं मैं
रोक लो मुझको तुम रोक पाओ अगर
रोकने से पहले सोच लो तुम मगर
दरिया हूँ मैं कभी जो ठहरता नहीं
कश्तियों की जो परवाह करता नहीं
लोगों की खुशियों का मैं ही संसार हूँ
तो दुखों की भी इक तेज तलवार हूँ
मेरे पीछे रहोगे तो पछताओगे
मेरे आगे चलोगे तो मिट जाओगे
सिर्फ वो ही दिया देर तक है जला
जो कदम दर कदम मेरे संग संग चला
ये न पूछो कि दुनिया में कब से हूँ मैं
कुछ नहीं था जमाने में तब से हूँ मैं
हूँ कभी नर्म तो मैं कभी सख्त हूँ
नाम मेरा समय है
मैं वक्त हूँ।

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