गम़-ए-मोहब्बत

मेरी आखिरी साँसों का सहारा था वो
मैँ डूबती हुयी कश्ती था किनारा था वो
कैसे नही करता भरोसा आखिर उसपे
बेगाने शहर मे बस एक हमारा था वो

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उसे ना आना था फिर भी इन्तजार किया हमने
भरोसा तोडने वाले पे ऐतबार किया हमने
हमेँ मालूम था अन्जामे वफा यारों फिर भी

उस बेवफा को हद से ज्यादा प्यार किया हमने

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उसके बिना कोई भी पल गुजरा नही है
गमों मे डूबा हुआ दिल अभी उभरा नही है
यूँ मुझे प्यार से ना देखो ऐ मेरे नये दोस्त

उसकी बेवफाई का रँग अभी उतरा नहीँ है

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उसकी यादों मेँ जाने क्यों जलाता हूँ खुद को

भीड मेँ भी अब तो तनहा सा पाता हूँ खुद को

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वो मुझे छोडकर गया अगर तो जाने दो

बसा रहा है नया घर तो उसे बसाने दो

उसे अब कुछ भी बुरा भला न कहो यारों

वो बेवफा है अरे मुझे तो वफा निभाने दो

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भले ही मेरी जिन्दगी में हर कमी रखना

भले ही मेरी आंखों में सदा नमी रखना

हमारा क्या है हम तो आदी हैं आँसुओं के

ऐ खुदा उसकी जिन्दगी में बस खुशी रखना

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