PicsArt 11 30 09.29.07

गम़-ए-मोहब्बत

मेरी आखिरी साँसों का सहारा था वो मैँ डूबती हुयी कश्ती था किनारा था वो कैसे नही करता भरोसा आखिर उसपे बेगाने शहर मे बस एक हमारा था वो ### उसे ना आना था फिर भी इन्तजार किया हमने भरोसा तोडने वाले पे ऐतबार किया हमने हमेँ मालूम था अन्जामे वफा यारों फिर भी उस … Continue reading गम़-ए-मोहब्बत