जब से तू मिलल बाडू

ई जिनगी खूबसूरत से भी ज्यादा खूबसूरत बा
कि जब से तू मिलल बाडू न कउनों भी जरूरत बा

रहल जे भी बुरा सब वक्त खुद ही हो गइल अच्छा
अब ता हर घडी हर पल ही जइसे शुभ मुहूरत बा

भरल बाडे भले महफिल ई खासमखास लोगवा से
नजरिया फिर भी जाने काहे बस तोहरा के ढूंढत बा

इबादत कइसे होला इश्क के ऐ ‘राज’ का मालूम
मगर मन्दिर मा हमरे दिल के त बस तोहरी मूरत बा

ई जिनगी खूबसूरत से भी ज्यादा खूबसूरत बा
कि जब से तू मिलल बाडू न काउनों भी जरूरत बा

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