सीमा, एक बहुत ही सीधे स्वाभाव की लडकी थी जिसका काम था घर से स्कूल और स्कूल से सीधे घर। न किसी से कोई शरारत और न ही कोई बुरा शौक। वह इतनी सीधी थी कि कालेज के सब स्टूडेंट्स उसे सीधी वाली बहनजी कहकर चिढाया करते और कोई अगर कुछ बुरा बोल भी देता तो चुपचाप सिर नीचे करके चली जाती थी।
ऐसा नहीं था कि वह सिर्फ रास्ते या कालेज में ही सीधी सादी थी बल्कि घर और मोहल्ले में भी वह वैसे ही रहती थी जैसा कि मैंने आपको बताया। सारे मोहल्ले में बस उसी की तारीफ हुआ करती थी। लोग बोलते थे कि बेटी हो तो सीमा जैसी एकदम शान्त, सुशील और समझदार। उसकी तारीफें सुनकर मोहल्ले की अन्य लडकियों को काफी जलन महसूस होती थी।
सीमा की जिन्दगी में सब कुछ अच्छा ही चल रहा था लेकिन वो कहते हैं न कि जरूरत से ज्यादा कोई भी चीज हो नुकसान करती है। सीमा का सीधापन इतना ज्यादा था कि कभी कभी आप भी सोचेंगे कि इतना सीधापन भी अच्छा नहीं है। कालेज में शरारत दूसरी लडकियां करती और नाम सीमा का लगा देतीं फिर भी वो अपनी सफाई में कुछ बोलती नहीं थी।यह तो शिक्षकों की समझदारी थी और वह हर बार बच जाती क्योंकि शिक्षक भी जानते थे कि सीमा ऐसी वैसी कोई भी शरारत कर ही नहीं सकती। खासकर उसकी उर्मिला मैम तो उसकी रग रग से वाकिफ थी और सीमा भी अपनी ज्यादातर समस्याएं उर्मिला मैम से शेयर करती थी। उर्मिला मैम उसे समझाती भी थी कि इतना सीधापन अच्छा नहीं है पर वो सुनती ही नही।
एक दिन की बात है वह कालेज से घर आ रही थी तभी उसके पीछे से उसी के कालेज का एक लडका सुमित बाइक लेकर आ रहा था जैसे वह सीमा के नजदीक पहुंचा तो चलती बाइक से बोला, ” अरे मैडम थक जाओगी आओ हम पहुंचा देते हैं।’ इतना कहकर वह रुका तो नहीं पर काफी दूर तक सीमा को मुड मुडकर देखता रहा। सीमा ने सिर नीचे किया और घर की ओर चल दी।
फिलहाल सीमा ने सुमित की बातों पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि लडके अक्सर इस तरह की छिछोरी हरकतें करते रहते हैं। अगले दिन सुमित को डर था कि कहीं सीमा किसी से मेरी शिकायत न कर दे तो वह कुछ नहीं बोला। क्लास के बाद जब सब कुछ नार्मल रहा तो सुमित की हिम्मत और बढ गई लेकिन इस बार उसने इसमें अपने दोस्त को भी शामिल कर लिया
और फिर से वही कमेंट ” जानेमन आ जाओ हम पहुंचा दे घर।” इस बार सीमा को बुरा लगा क्योंकि ‘जानेमन’ शब्द उसके दिमाग में चुभ गया पर वह बोली नहीं। वह घर पहुंची और सोचने लगी कि सुमित क्यों ऐसा कर रहा कैसे उसे समझाऊं वह रुकता भी तो नहीं है। अगले दिन सुबह ही जैसे वह रोड पर पहुंची पीछे से फिर सुमित की गाडी देखकर वह नर्वस होने लगी।सुमित ने हार्न बजाया और उस दुपट्टा हाथों से टच करता हुआ बोला , ” हाय आज तो एकदम पटाखा लग रही हो।” अब सीमा परेशान हो गई पर उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि इस समस्या को कैसे हल करे। घर या शिक्षक से शिकायत की सोचती पर पीछे हट जाती यह सोचकर कि कहीं लोग उसी को गलत न समझ लें क्योंकि हमारा समाज ऐसा ही है जो लडकियों को ही इन मामलों में जिम्मेदार मानता है।
सीमा दिन भर परेशान थी पढ भी नहीं पा रही थी । क्लास खत्म हुई तो इस बार सीमा ने सोचा सहेलियों के साथ ही घर जाती हूँ लेकिन उसकी बहुत ज्यादा सहेलियां भी नहीं थी फिर भी वह दो तीन लडकियों के साथ घर जाने लगी। सुमित पीछे से आया पर आज कुछ बोला नहीं। सीमा ने राहत की सांस ली। अगले नुक्कड़ पे सहेलियों ने साथ छोड दिया क्योंकि उनका घर आ गया था।
सीमा को थोड़ी दूर अकेले ही जाना था । अचानक उसने देखा कि सुमित फिर से पीछे से आ रहा है अपने दोस्त के साथ लेकिन सीमा ने सोचा अब तो घर के नजदीक आ गई हूँ अब थोडी कुछ बोलेगा। सुमित जैसे ही पास पहुंचा उसने तो हद ही कर दी। उसके दोस्त ने सीमा की पीठ पर हाथ फेरा तो सुमित ने उसकी छाती को छूने की कोशिश की पर दुपट्टा ही
हाथ लगा।
अब बिना दुपट्टे के सीमा तो हो गई जैसे बिना कपडे के । उसके मुंह से चीख निकली ही थी कि वे दोनों फरार हो लिए। सीमा तो अवाक रह गई। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वे लोग इस हद तक आ जाएंगे। वह थर थर कांप रही थी। किसी तरह घर पहुंची तो सीधा अपने कमरे जाकर रोने लगी। अब पानी सर से ऊपर जा चुका था।
इतना कुछ होने के बाद भी सीमा का सीधापन उसे अपने ऊपर हो रहे अत्याचार की शिकायत घर और समाज से करने से रोक रहा था।आखिर में उसने फैसला लिया कि वह कालेज ही नहीं जाएगी। घर पर रहकर पढाई करेगी और सीधा एक्जाम दे देगी। उसने कालेज बन्द कर दिया पर वह अन्दर से घुट रही थी जैसे उसका कुछ छिन गया हो..शायद आत्मसम्मान।
धीरे धीरे दस दिन बीत गए । उर्मिला मैम को लगने लगा कि कोई समस्या है तभी सीमा कालेज नहीं आ रही है वरना वो तो क्लास के लिए सब कुछ छोड देती थी। उर्मिला मैम ने फैसला किया कि वह सीमा से मिलेंगी। कालेज के बाद वो सीमा के घर पहुंच भी गई। उर्मिला मैम को देखते ही सीमा जोरों से रोने लगी । जिससे सब घरवाले भी परेशान हो गए।
उर्मिला मैम ने पूछा तो उसने सारी बात बता दी। मैम ने घरवालों को भी डाटा कि इतनी बडी बात हो गई आप लोगों को पूछना तो चाहिए। एक लडकी की सबसे बड़ी ताकत उसके परिवार के लोग ही होते हैं। सीमा के पापा ने बताया कि उन्होंने पूछा था पर सीमा ने कहा कि उसकी तबीयत खराब है इसलिए कालेज नहीं जा रही तो दुबारा किसी ने ध्यान नहीं दिया।
मैम बोली, चलो जो हो गया सो हो गया अब आगे क्या करना है मैं बताती हूँ , कल तुम कालेज आओ प्राचार्य से लिखित शिकायत दो और मैं सुमित और उसके दोस्त के घरवालों को बुलवाती हूँ। बात बनी तो ठीक वरना पुलिस के पास चलेंगे। सीमा ने टोका, अरे नहीं मैम जाने दो कितनी बदनामी होगी। सीमा के घरवालों ने भी सीमा का ही समर्थन किया।
उर्मिला मैम मुस्कुराईं और बोली, बस यही बात और यही सोच लडकियों को समाज में इज्ज़त से रहने नहीं देती और सीमा तुम , तुमने तो भुगता है, तुम कैसे ऐसा कह रही हो तुम तो पढी लिखी हो। याद रखो तुम्हारी चुप्पी ही उन लोगों की हिम्मत है। तुम्हारा यह सीधापन तुम्हें एकदिन खा जाएगा। घुट घुट के जीने से अच्छा है कि अपने आत्मसम्मान के लिए लडो। मैं तुम्हारे साथ हूँ।
और यह जो कह रही हो घर से बाहर नहीं जाओगी सीधा परीक्षा देने जाओगी तो इसकी क्या गारंटी है कि वो परीक्षा तुम्हें ठीक से देने देंगे। सीमा के पापा आप बताओ कल को अगर कुछ गलत हो गया तो क्या बदनामी नहीं होगी ? डर डर के जीने से अच्छा है उन लोगों को सबक सिखाओ। मैम की बात सुनकर सीमा में हिम्मत आई और वह शिकायत के लिए तैयार हो गई।
घर वाले भी तैयार हो गए। अगले दिन कालेज में सुमित के मां बाप और उसके दोस्त के मां बाप को बुलाया गया। यह सब देखकर सुमित और उसका दोस्त कांपने लगे और माफी मांगने लगे। अब सीमा बहुत हल्का महसूस करने लगी और सोचने लगी कि यह सब उसने पहले क्यों नहीं किया, क्यों नहीं दिखाई हिम्मत, अगर उसी वक्त हिम्मत दिखाती तो शायद इतने दिन घुट घुट के जीना न पडता।
प्राचार्य ने सुमित और उसके दोस्त को कालेज से निकाल दिया। इतना होने के बाद दोनों सीमा के पैरों में गिडगिडाने लगे कि ऐसी गलती दुबारा नहीं होगी , हमारा पूरा साल खराब हो जाएगा हमें माफ कर दो प्लीज। आज सीमा का आत्मसम्मान जो खोया खोया सा लग रहा था वापस आ रहा था। सीमा को तरस आया और उसने प्राचार्य जी से आग्रह किया कि उन दोनों को एक आखिरी मौका दे दें।
प्राचार्य ने कहा ठीक है लेकिन शर्त यह है कि सीमा को कभी कुछ हुआ तो उसके जिम्मेदार तुम दोनों को ही माना जाएगा। सुमित और उसके दोस्त ने शर्त मान ली। सीमा आज खुद को संतुष्ट महसूस कर रही थी क्योंकि आज उसने उन लोगों को सबक सिखा दिया था जिन्होंने उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने की कोशिश की थी।
तो दोस्तों इस कहानी से हमने सीखा कि खुद पर हो रहे अत्याचार का विरोध नहीं करोगे तो लोग अत्याचार करते ही रहेंगे। लडकियों को विशेष रूप से इस कहानी से सीखना चाहिए कि गुड वर्ड्स , बैड वर्ड्स ,गुड टच और बैड टच को समझें तथा किसी भी तरह की समस्या हो तो उसकी शिकायत घरवालों से या पुलिस से सम्बंधित विभाग से जरूर करें।