इक बात बतानी है तुम्हें अपने बारे में
बोलो मुँह से बोलूँ या कह दूँ इशारे में
गर समझ सको तुम तो समझो दिल की बातें
कुछ दिन से अब तनहा मेरी कटती नहीं रातें
बोलो कुछ तो बोलो क्यों हो यूँ गुमसुम से
दिल के बदले में दिल मैं चाहता हूँ तुमसे
कई रोज से ऐ हमदम तुमसे ये कहना है
तुझे रखकर के दिल में तेरे दिल में रहना है
खोया सा रहता हूँ बस तेरे खयालों में
उलझा सा रहता हूँ बस इन्हीं सवालों में
कितने दिन और रहोगे नजरों के नजारे में
कब तक तुम आओगी दिल के गलियारे में
इक बात बतानी है तुम्हें अपने बारे में
बोलो मुँह से बोलूँ या कह दूँ इशारे में