है अन्दर कुछ तुम्हारे और, बाहर कुछ दिखाते हो
भला क्या गम है तुमको तुम जो इतना मुस्कुराते हो
वो क्या है जिसने अन्दर से रखा है तोड के तुमको
क्या कोई था तुम्हारा भी गया जो छोड के तुमको
बताओ ना क्यों छुप छुप कर के तुम आंसू बहाते हो
भला क्या गम है तुमको तुम जो इतना मुस्कुराते हो
निगाहें हैं खुली पर लगता है सोए से रहते हो
कहो किन यादों के जंगल में यूँ खोए से रहते हो
अरे हम पूछते हैं कुछ तो तुम कुछ क्यों बताते हो
भला क्या गम है तुमको तुम जो इतना मुस्कुराते हो
न कोई बात सुनते हो न तो कुछ बात करते हो
खफा क्यों हो कहो क्यों जुल्म खुद के साथ करते हो
कभी रहते हो गुमसुम तो कभी खुद पे चिल्लाते हो
भला क्या गम है तुमको तुम जो इतना मुस्कुराते हो
ये दुनिया का नियम है जो मिला है वो जुदा होगा
वही तो होगा ना ऐ ‘राज’ जो किस्मत में लिखा होगा
तो फिर क्यों बेवजह इस दुनिया पे तोहमत लगाते हो
भला क्या गम है तुमको तुम जो इतना मुस्कुराते हो
है अन्दर कुछ तुम्हारे और, बाहर कुछ दिखाते हो
भला क्या गम है तुमको तुम जो इतना मुस्कुराते हो