वो कुछ इस तरह से हमको सजा देते हैं
रोने लगते हैं और फिर हमको रुला देते हैं
हम उन्हें अच्छे भी नहीं लगते कभी रोते हुए
इसलिए हँस के फिर से हमको हँसा देते हैं
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हम अपने दर्द का यार जिक्र कहाँ करते हैं
दर्द सह सह कर हम तो इश्क रवाँ करते हैं
मेरे पडोसियों से मेरा हाल जान न पाओगे
मेरी हकीकत तो मेरे ये अश्क बयाँ करते हैं
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आँसुओं की दास्तां उस इंसान से पूछो
किसी की याद में जो रात भर सोया नहीं है
अरे आँसुओं की कीमत वो क्या जाने
किसी की याद में जो आजतक रोया नहीं है
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रुलाया है उसने अगर मुझको तो कोई बात नहीं
सम्भल पाऊँ न खुद अरे अभी ऐसे भी हालात नहीं
वो अपना था इसलिए सह गए उसके जुल्म वरना
आँख दिखा दे कोई किसी में इतनी औकात नहीं