वो कुछ इस तरह से हमको सजा देते हैं रोने लगते हैं और फिर हमको रुला देते हैं हम उन्हें अच्छे भी नहीं लगते कभी रोते हुए इसलिए हँस के फिर से हमको हँसा देते हैं ### हम अपने दर्द का यार जिक्र कहाँ करते हैं दर्द सह सह कर हम तो इश्क रवाँ करते … Continue reading रुलाया है उसने
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और करते भी क्या हम
थे ही कुछ ऐसे इस जमाने के सितम रोने के शिवा और करते भी क्या हम एक तो जमाना बेरहम निकल गया उसपे निकला वो भी तो बेवफा सनम मेरे हालात पर छोटी छोटी बात पर सारे वादे तोडे उसने तोडी हर कसम ख्वाब आँखों से सारे टूट कर गिरे और टूटे संग संग हर … Continue reading और करते भी क्या हम
मेरा गम़
अपना ग़म जमाने को नहीं दिखाते हम ये राज़-ए-दिल है सबसे नहीं बताते हम मैं नहीं चाहता कोई दुखी हो मेरे दुख से इसलिए तो कभी आंसू नहीं बहाते हम अंधेरे में बसर ये जिन्दगी कर लेते है रोशनी के लिए कोई घर नहीं जलाते हम पत्थरों के शहर में रहते हैं हम इसलिए शोक … Continue reading मेरा गम़