माना कि किस्मत की मुझपे इनायत बहुत है
पर तेरे बिना जिन्दगी से शिकायत बहुत है
तू जान नहीं पाएगा मेरी वफाओं की कीमत
नादानी है तुझमें अभी भी शरारत बहुत है
तुझसे दिल लगाया तब जान पाए इश्क में
चैन कम है सुकून कम है आफत बहुत है
झूठी दुनिया ने झूठा ही बदनाम कर दिया
वरना मुझमें तो अभी भी शराफत बहुत है
खंजर उठा के खून से मत रंग तू अपने हाथ
मेरी जान लेने के लिए तेरी अदावत बहुत है
माना कि किस्मत की मुझपे इनायत बहुत है
पर तेरे बिना जिन्दगी से शिकायत बहुत है