दिल धक से कर जाता है

रोम रोम मेरा उसकी

खुशबू से भर जाता है

जब वो देखता है मुझे तो

 दिल धक से कर जाता है

आखिर ऐसा क्या है

उसकी निगाहों में

कि जी करता है उसे

कस के भर लूँ बाहों में

यूँ तो आया था वो जिन्दगी में

एक अजनबी की तरह

पर कुछ मुलाकातों में ही

लगने लगा है जिन्दगी की तरह

क्या बताऊँ उसके बगैर

क्या हाल हो जाता है

हर पल लगता है घण्टों जैसा

दिन तो जैसै महीना साल हो जाता है

कैसे निकालूँ उसको अपने दिल से

अब तो सम्भलता भी है

दिल बडी मुश्किल से

क्या करूँ मैं तो

बडी कश्मकश में हूँ

लग रहा है दिल मेरे नहीं

मैं दिल के वश में हूँ

उसके दूर जाने के खयाल से भी

अब तो आंखों का 

प्याला भर जाता है

रोम रोम मेरा उसकी

खुशबू से भर जाता है

जब वो देखता है मुझे तो

दिल धक से कर जाता है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *