दर्द उधार लिया है

दिल देकर हमने दर्द उधार लिया है
खुदा समझकर इक पत्थर से प्यार किया है

जिसकी खातिर हमने गँवा दी नीदें अपनी रातों की

वो हरजाई कीमत क्या समझे मेरे जजबातों की

उसने तो हरदम गैरों पे ही ऐतबार किया है

वो तो अपनी दुनिया में ही मस्त है खुश है अपनो में
उसको क्या दिलचस्पी होगी मेरे अधूरे सपनों में
उसने मेरे दिल से बस धोखा हर बार किया है

दिल की दरारें वो सिलने ना आएगा
पता है हमको वो मिलने ना आएगा
फिर भी दिल ने उसका इन्तजार किया है

दिल देकर हमनें दर्द उधार लिया है
खुदा समझकर इक पत्थर से प्यार किया है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *