हाथ में लेकर कागज कलम मैं अश्क बहाऊँ
लिखना चाहूँ नाम तेरा पर लिख ना पाऊँ
मेरी मजबूरी और हाल मेरे इस दिल का
तूने ना समझा तो जग को क्या समझाऊँ
तुमने कहा जाओ खुश रहना लेकिन मैं तो
कैसे जिऊंगा तुझ बिन सोच के भी घबराऊँ
हर कोई है खडा नमक हाथों में लेकर
दिल के जख्म दिखाऊँ तो भी किसे दिखाऊँ
भूलना चाहता हूँ तुझको लेकिन बस डर है
भूलते भूलते तुझको खुद को मैं भूल न जाऊँ
ऐ ‘राज’ कोई उनसे कह दे हमें याद न आएं
और कुछ ऐसा कर दें मैं भी उन्हें याद न आऊं
हाथ में लेकर कागज कलम मैं अश्क बहाऊँ
लिखना चाहूँ नाम तेरा पर लिख ना पाऊँ