हूर हो तुम

तेरी आँखों में इक जादू है जाने जाँ
मुझको दिखते हैं इनमें ही दोनों जहाँ
तेरे जैसा सनम दूजा देखा नहीं
देखा हमने बहुत ये जमीं आसमाँ
                     ***
मत पूछ तेरे बिन कैसा ये जमाना लगता है
घर क्या मुझे तो सारा शहर वीराना लगता है
किससे कहूँ मैं अपने दिल का हाल तू ही बता
इक तुझको छोड के सारा जग बेगाना लगता है
                          ***
जब से तूने मुझको अपना बना लिया
आँखों में मैनें तेरा सपना सजा लिया
तेरी वफा मिली है जब जिन्दगी में तो अब
मांगू क्या रब से मैनें सब कुछ तो पा लिया
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ना परी ना जन्नत की हसीना चाहता हूँ
मैं तो बस तेरी आँखों से पीना चाहता हूँ
ख्वाहिश नहीं है मुझे फूलों के बिस्तर की
मैं तो तेरी मखमली बाहों में जीना चाहता हूँ
                          ***
ऐ यार मेरे किसी जन्नत की हूर हो तुम
हर दिल में हर खयाल में मशहूर हो तुम
मेरी किस्मत में धन दौलत हो कि ना हो
मेरे हाथों की लकीरों में जरूर हो तुम

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