दर्द-ए-दिल

दिल कहता है कि और उसे याद न कर
उससे मिलने के लिए फरियाद न कर
वो किसी और का हो चुका है कल से
उसके लिए तू अपने आपको बरबाद न कर
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बनके चिंगारी सुबह शाम जलाता रहा हमें
करकर के झूठे वादे बस बहलाता रहा हमें
आलम न पूछो यार मेरे इकतरफा इश्क का
हमने याद किया हरपल वो भुलाता रहा हमें
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हर बार मेरी मोहब्बत का इम्तिहान लेता है
वो खुद जान होकर मेरी मेरी जान लेता है
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उसने दिल तोडा है तो उसका दिल भी टूटेगा
उसने लूटा है तो उसको भी कोई लूटेगा
पता चलेगा बेवफा को  दर्द क्या होता है
जब उसके हाथ से भी कोई हाथ छूटेगा

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