मैं शायर तो नहीं

उलझ के तेरे घने घने इन लम्बे बालो में
दिल मेरा डूब जाता है नैनों के प्यालों में
जब तू हँसती है मुझे देखकर रास्तों में
मैं खो सा जाता हूँ अक्सर तेरे खयालों में
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दिन रात तुम्हें देखूँ ये आँखों की फरमाइश है
तेरा प्यार तेरी मोहब्बत मेरे मन की च्वाइस है
ना सोना चाहता हूँ ना चाँदी ना ही कोई दौलत
तुम जिन्दगी में आ जाओ बस इतनी ख्वाहिश है
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तुम्हारे नाजुक बदन को नाजुक मखमल कह दूँ
तुम्हारे गुलाबी होठों को खिलता कमल कह दूँ
अजी शायरी क्या चीज है तुम्हारी मुस्कान पे
तुम इजाजत दो तो इक पल में गज़ल कह दूँ
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जमीन से उस फलक तक कोई मिला नही
तुम जैसा गुलबाग में अबतक खिला नही
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तुम्हें देखकर फिर से वो हँसी याद आती है
तेरे मिलने से मिली हर इक खुशी याद आती है
आज जब तुम नही और गमों ने घेरा मुझको तो
तुम्हारे संग जो जी थी वो जिन्दगी याद आती है

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