आरती छोटू लव स्टोरी

आज ढाई महीने से भी ज्यादा हो गए हमने कभी भी आरती को हँसते हुए नहीं देखा जब भी देखा सिर्फ आंसू बहाते हुए ही देखा है। पिछले एक दो दिन से दो चार वीडियो देखने को मिले जिसमें आरती की मुस्कान दिखी। बडा सुकून मिलता है जब हम लम्बे समय से आंसू बहाने वाले  इंसान को  हँसता हुआ देखते हैं। आरती के विरोधियों को या पत्थर हृदय वाले इंसानों को यदि छोड दिया जाए तो लगभग सबको अच्छा लगा होगा आरती को मुस्कुराते हुए देखकर। भाई मुझे तो अच्छा लगा।

उम्मीद भी यही है कि आरती बीते हुए समय के दर्द को भूलकर एक नई शुरुआत करेंगी। छोटू के मां बाप का सहारा बनकर एक नई मिसाल कायम करेंगी। एक आरती है कि बिना विवाह के अपने सास ससुर के प्रति अपना सेवाधर्म निभा रही है वरना आजकल शादी करने के बावजूद भी ज्यादातर बहुएं सास ससुर को अपना दुश्मन ही मानती है, सेवा तो दूर की बात साथ रहना भी पसंद नहीं करती हैं।

धन्य हैं छोटू के मां बाप जिन्होंने अपने बेटे की मौत के बाद भी उस लडकी को अपने घर में रखा है जिसके प्यार की वजह से छोटू अब इस दुनिया में नहीं है।

प्यार के दुश्मनों को यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रही होगी लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि आरती ने सच का साथ दिया है इसलिए वो तारीफ के काबिल है। फिल्मों में हम देखते हैं कि जब हीरो अपने पिता द्वारा किए जा रहे गलत काम का विरोध करता है लोग खूब तालियां बजाते हैं क्योंकि हीरो सच और अच्छाई के साथ होता है। वहीं आज रियल लाइफ में आरती ने अपने हत्यारे भाई और परिवार का साथ नहीं दिया बल्कि सच को इंसाफ दिलाने के लिए लडाई लड रही है तो कोई उसका साथ देने को तैयार नहीं है।  ये अन्तर होता है फिल्मों में और रियल लाइफ में। हम अच्छा काम होते देखना पसंद करते हैं लेकिन अच्छा काम करना पसंद नहीं करते।

कुछ लोग तो यहां तक बोल रहे हैं कि आरती जैसी लडकियां देश भर की लडकियों के भविष्य पर खतरा है ये लडकियों को जन्म लेने से पहले ही मरवा देगी। क्यों भाई ? ऐसा क्यों ? क्योंकि उसने प्रेम किया या फिर हत्यारे परिवार का साथ नहीं दिया या फिर इसलिए कि प्यार निभाने के लिए वह विधवा का जीवन जीने को तैयार है या फिर इसलिए कि वह उन मां बाप का सहारा बनने के लिए तैयार है जिन्होंने अपना बेटा खो दिया है या फिर इसलिए क्योंकि वह अपने इंसाफ पाने की जिद से डगमगा नहीं रही है ?

यहीं पर अगर उल्टा हुआ होता, यदि आरती की मौत हुई होती और छोटू इंसाफ के लिए लडता तो क्या तब भी समाज कहता कि छोटू सारे पुरूष समाज पर खतरा है या लडकों को पैदा होने से पहले मरवा देगा ? मैं जानता हूँ नहीं कहता, क्योंकि छोटू लडका है और लडकों से इज्जत नहीं जाती सिर्फ़ लडकियों से इज्जत जाती है , है न ? सम्मान, इज्ज़त, आबरू ,शान इन सबका ठेका सिर्फ लडकियों ने ले रखा है क्या ?

एक लडका 10 लडकियों से प्रेम कर ले उनकी जिन्दगी तबाह करे तो घर वाले शान से कहेंगे मेरा बेटा कन्हैया है बहुत सु लडकियां उसके पीछे पडी रहती हैं। वहीं एक लडकी अगर किसी से प्रेम कर ले तो बस …इज्ज़त चली गई हमारी, नाक कट गई हमारी और न जाने कितने गन्दे गन्दे शब्दों का प्रयोग किया जाता है।  इन सब चीजों को देखकर ही समझ में आ जाता है कि हमारा भारतीय समाज पुरुषों का समाज है।

ऐसे में अगर आरती जैसी बहादुर लडकी हिम्मत दिखाती है तो जाहिर सी बात है कि पुरूष प्रधान इस भारतीय समाज को ये पसंद नहीं आएगा। इसलिए इसमें संदेह नहीं किया जा सकता है कि आरती को आगे कई समस्याओं का सामना करना पड सकता है। फिलहाल हम ऐसी बहादुर लडकी के हौसले को सलाम करते हैं और समाज की हर महिला जो निडर होकर सच का साथ देती है हमेशा हम उनका समर्थन करते हैं।

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