जब तुम मन्द मन्द मुस्काती हो

सूखे सूखे अधरों पर

अमृत की बूँदें गिराती हो

जब तुम मन्द मन्द मुस्काती हो..

चलते चलते यूं ही जब जब

मेरे कदम रुक जाते हैं

जब जब जीवन के अंधियारे

आकर मुझे सताते हैं

आशाओं के न जाने

कितने ही दीप जलाती हो

जब तुम मन्द मन्द मुस्काती हो..

दिल को दुखाने वाले हादसे

जब जब दिल के पास हूए

जब जब भी हम रोए हैं और

जब जब भी हम उदास हुए

आकर जैसे खुशियों के

फूलों से मन महकाती हो

जब तुम मन्द मन्द मुस्काती हो..

कभी अच्छे रिश्तों में तो कभी

मतलब के रिश्तेदारों में

जब जब भी उलझा हूँ रिश्तों

के इन उलझे तारों में

इक इक करके रिश्तों की

परिभाषाएं समझाती हो

जब तुम मन्द मन्द मुस्काती हो..

सूखे सूखे अधरों पर
अमृत की बूँदें गिराती हो
जब तुम मन्द मन्द मुस्काती हो..

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