मन में बैठे झूठ के अंधियारे को मिटाते हैं
आओ मिलकर सच का ऐसा दीप जलाते हैं
यूँ तो सजाते हैं घर माँ लक्ष्मी के स्वागत को
इस बार चलो मन का मन्दिर शुद्ध बनाते हैं
रंगोली के रंगों सा रंग भर जाए जीवन में
चलो प्रेम से हम अपने रिश्तों को सजाते हैं
अपने आप से ज्यादा अपनों को खुशी दे दें
इस बार की दीवाली आओ कुछ ऐसे मनाते हैं
मन में बैठे झूठ के अंधियारे को मिटाते हैं
आओ मिलकर सच का ऐसा दीप जलाते हैं