हँसकर मिला करिए

कोई शिकवा शिकायत हो तो फिर हमसे गिला करिए

अरे जब भी मिला करिए तो हँसकर ही मिला करिए


अगर  डर  है  जमाने   का कि  कोई सुन  न ले   बातें

तो फिर चलिए नजर से गुफ्तगू का सिलसिला करिए


जमाना  बात  ही  मुरझाने  वाली  करता  है  अक्सर

अरे पर आप तो गुल हो तो बस हरपल खिला करिए


क्यों हँसकर  टाल  देते हो  मेरा  इजहार-ए-मोहब्बत

अजी हाँ करिए  ना करिए  मगर कुछ फैसला करिए


कोई शिकवा शिकायत हो तो फिर हमसे गिला करिए

अरे जब भी मिला करिए तो हँसकर ही मिला करिए