किस्मत का अजीब खेल

किस्मत ने भी अजीब खेल
खेला है मेरे साथ
जिसने हमको चाहा
वो हमें गवारा न हुआ
और जिसको हमने चाहा
वो कभी हमारा न हुआ
जो हम पर मर मिटा
उसे हम जान न सके
हम जिसपे मरे वो हमको
अपना मान न सके
ये सिलसिला ताउम्र
कुछ ऐसे ही चलता रहा
हम किसी के इन्तजार में
कोई हमारे इन्तजार में
जलता रहा
अब न अफसोस रहा कोई
न बाकी कोई जज्बात
हँसते हैं हम खुद पर
बस सोच के यही दिन रात
किस्मत ने भी अजीब खेल
खेला है मेरे साथ