जाने क्या हो गया है मुझे आजकल
चैन मिलता नहीं है कहीं एकपल
जिस घडी से वो टकरा गई है मुझे
उसकी चंचल हँसी भा गई है मुझे
जब से देखा उसे कुछ भी देखा नहीं
हुस्न तो देखे पर उसके जैसा नहीं
अब तलक उसकी आवाज कानों में है
आहटें उसकी दिल के मकानों में हैं
करता हूँ बन्द आँखें तो दिखे है वही
हो न जाऊं दीवाना मैं उसका कहीं
बैठी होंगी वो तो घर में आराम से
याद में उसकी मैं तो गया काम से
ऐ मेरे रब करिश्मा दिखा आज तू
पूरी कर फिर उसे देखने की आरजू
जहां रहती है वो दिल वहीं तू भी चल
देख लूँ जान फिर चाहे जाए निकल
जाने क्या हो गया है मुझे आजकल
चैन मिलता नहीं है कहीं एकपल…