आज भी प्यार करती हूँ 

माना कि दुनिया के आगे इनकार करती हूँ

पर उस पर आज भी मैं ऐतबार करती हूँ

वो भूल गया है मुझे तो कोई बात नही उससे

मैं कल भी करती थी आज भी प्यार करती हूँ

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मुझे याद है जब  पहली मुलाकात हुई थी

हिले न थे लब फिर भी हजारों बात हुई थी

न चमकी थी बिजली कहीं न गरजे थे बादल

फिर भी जम के उस दिन प्यार की बरसात हुई थी

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फितरत इस जमाने की पहचानती नहीं

ऐसा नहीं कि सच्चाई मैं जानती नहीं

उसके खिलाफ दिल सबूत देता है लेकिन

वो बेवफा है धडकन मेरी मानती नहीं

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छूटकर जिन्दगी की साख से गिर जाऊँ मैं

कहीं ऐसा न हो कि टूटकर बिखर जाऊँ मैं

उसका दीदार मुझे इक बार करा दे ऐ खुदा

इससे पहले कि उसकी यादों में मर जाऊँ मैं

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ऐ सितमगर सितम इतने निराले न कर

सुन मेरी जिन्दगी से दूर उजाले न कर

लगा के सीने से देख दूर मत जा अब

जिन्दगी देके मुझे मौत के हवाले न कर

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