ना उधर जाइये ना इधर जाइये मेरी बाहों मेँ आकर बिखर जाइये कलियों की ले लो सारी मासूमियत फूलों का रँग ले के निखर जाइये क्या रखा है भला झूठी टकरार में आँखों से मेरे दिल मेँ उतर जाइये क्या जरूरत तुम्हें सोलह सिँगार की ओढ के मेरी चाहत सँवर जाइये एक ही आरजू है … Continue reading बाहों में आकर बिखर जाइए