कुछ इस तरह से मुसीबतों को हराया करिए
हालात कितने भी बुरे हों मुस्कुराया करिए
आँधियाँ चलती ही हैं अक्सर दिये बुझाने को
हौसला रखके हर एक दिये को बचाया करिए
दिया उम्मीद का जब जल रहा हो मन में तो
नाकामयाबी के अंधेरों से न घबराया करिए
आग में तप तप कर ही सोना निखर पाता है
मेहनत की आग में खुद को भी जलाया करिए
बुरा भला कोई कितना भी कहे उसे कहने दो
‘राज’ चुपचाप बस अपना फर्ज निभाया करिए
कुछ इस तरह से मुसीबतों को हराया करिए
हालात कितने भी बुरे हों मुस्कुराया करिए