गुस्ताखी माफ हमें प्यार का ईनाम चाहिए
तुम्हारे शबनमी होठों का इक जाम चाहिए
अब थक चुका हूँ तेरे जमाने के सितम से
बाहों में तेरी आकर के कुछ आराम चाहिए
आँखों में बसा लूँ तेरे हर एक सपन को
बाहों में छुपा लूँ तेरे मखमल से बदन को
भर लूंगा लाखों बूंदें आँखों में अश्कों की
पर भीगने न दूँगा कभी मैं तेरे नयन को
आ बैठ जा मेरे सामने तेरा दीदार करूँ मैं
तुझसे जरा मोहब्बत तो इजहार करूँ मैं
कोई करता नहीं होगा दुनिया में किसी से
मेरी जान आजा इतना तुझे प्यार करूँ मैं
ख्वाहिश मेरी तुझसे मेरे अरमान तुझसे हैं
धडकन मेरी मेरा दिल-ए-नादान तुझसे है
बिन तेरे क्या हूँ मैं सनम मेरा वजूद क्या
ऐ जान मेरी मेरी तो यह जान तुझसे है