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चराग बुझते रहे और हम जलाते रहे

लाखों तूफान मेरा सब्र आजमाते रहे चराग बुझते रहे और हम जलाते रहे तोडने वालों ने तो कोशिश हजार की दर्द सहकर हम हर रिश्ता निभाते रहे हम करते रहे अपना काम ठीक से उडाने वाले बेशक मजाक उडाते रहे बोलियों से दिल पे चोट करते रहे लोग और हम थे कि सुनते रहे मुस्कुराते … Continue reading चराग बुझते रहे और हम जलाते रहे