हँसा नहीं सकते हो तो रुलाया न करो ऐसे मेरी मोहब्बत आजमाया न करो एक बार ही मारना है मार दो सनम तीर नजर का रह रहके चलाया न करो मानता हूँ आदत है दिल तोडना मगर तोड के दिल मेरा यूँ मुस्कुराया न करो चाँद देखने आता हूँ हर रोज इसलिए देखो यूँ दुपट्टे … Continue reading मोहब्बत आजमाया ना करो
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मोहब्बत का जमाना
हर रोज उसकी गली में आना जाना था वो मोहब्बत का जमाना क्या जमाना था वो कुछ लैला की तरह मुझपे मरती थी और मैं भी मजनू सा उसका दीवाना था बहुत दिन न हुए थे मिले मुझको उससे पर लगता था रिश्ता उससे पुराना था दरअसल वो मेरी किस्मत में ही नहीं थी उसका … Continue reading मोहब्बत का जमाना