जंगल काट के आक्सीजन खोज रहा हूँ

मुँह की खा के देखो कैसे अब मुँह नोच रहा हूँ मैं इंसान हूँ जंगल काट के आक्सीजन खोज रहा हूँ लिखना था सुन्दर कल लेकिन देखो मेरी नादानी भविष्य के पन्नों पर खुद ही कालिख पोत रहा हूँ मैं इंसान हूँ जंगल काट के आक्सीजन खोज रहा हूँ सपने थे आंखों में कि मंगल … Continue reading जंगल काट के आक्सीजन खोज रहा हूँ

आज जिन्दगी सस्ती नजर आती है

बडी खामोश इंसानों की बस्ती नजर आती है दवाइयां महंगी यहां जिन्दगी सस्ती नजर आती है क्या कहूँ ज्यादा कहने की अब जरूरत ही नहीं आक्सीजन महंगी है सांसों की तो कीमत ही नहीं जिन्दगी देखते देखते कहीं मौत नजर न आ जाए डर लगा रहता है कहीं से मनहूस खबर न आ जाए जिधर भी … Continue reading आज जिन्दगी सस्ती नजर आती है

कोरोना को हराना है

एक बार फिर से कोरोना ने अपना जाल बिछाया है एक बार भगा चुके थे कमबख्त फिर से लौट के आया है तो फिर से इससे पूरी हिम्मत से निपटने की जरूरत है घर पर रहकर हम सबको संयम बरतने की जरूरत है जैसे पहली दफा एकजुट होकर देश का साथ दिया था हमें फिर … Continue reading कोरोना को हराना है

तो अच्छा हो

महामारी का ये दानव जो मर जाए तो अच्छा हो बुरा यह दौर दुनिया से गुजर जाए तो अच्छा हो नहीं अच्छा कि घर में बैठे भारत का जवां इसान कमाने के लिए ये फिर शहर जाए तो अच्छा हो प्रकृति द्वारा दिए उपहारों से खिलवाड़ न हो अब अरे अब भी अगर इंसाँ सुधर … Continue reading तो अच्छा हो