ये प्यार के मसले हैं

न गुस्से से पूरे होंगे न जिद से मुकम्मल होंगे
अजी ये प्यार के मसले हैं प्यार से हल होंगे
अगर हो देखनी जन्नत तो अपनों के संग बैठेंं
जो अपनों संग बीतेंगे वही जन्नत के पल होंगे
कैसे बचेगी दुनिया और दुनिया में मोहब्बत
भाई के हाथों यूँ ही गर भाई के कतल होंगे
हर रोज पनपते हैं जिसमें शक के नये बीज
तुम ही कहो ऐसे रिश्ते कब तक सफल होंगे
आज है जिन्दगी तो आइए मिल के रहे हम
न हम होंगे जमाने में और न आप कल होंगे
न गुस्से से पूरे होंगे न जिद से मुकम्मल होंगे
अजी ये प्यार के मसले हैं प्यार से हल होंगे