आ भी जाओ कि अब इन्तजार नहीं होता

क्या तुम्हारा दिल कभी बेकरार नहीं होता
आ भी जाओ कि अब इन्तजार नहीं होता
हर तरफ बहारें हैं हर तरफ हैं मोहब्बत
मौसम यूँ मेहरबान बार बार नहीं होता
आ भी जाओ कि अब इन्तजार नहीं होता
इक नजर देख तो लूँ मै तुमको सामने से
ख्वाबों का दीदार कोई दीदार नहीं होता
आ भी जाओ कि अब इन्तजार नहीं होता
मरता हूँ सिर्फ तुमपर मैं तुमपर ही मिटूंगा
क्यों मेरी बात पर तुम्हें ऐतबार नहीं होता
आ भी जाओ कि अब इन्तजार नहीं होता
माना लगे हैं पहरे तुम पर हजारों लेकिन
डर जाए पहरों से जो वो प्यार नहीं होता
आ भी जाओ कि अब इन्तजार नहीं होता
मुश्किल हजारों आती हैं ‘राज’ इस सफर में
दारिया-ए-इश्क यूं ही कोई पार नहीं होता
आ भी जाओ कि अब इन्तजार नहीं होता
क्या तुम्हारा दिल कभी बेकरार नहीं होता
आ भी जाओ कि अब इन्तजार नहीं होता

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