इस तरह रस्म-ए-उलफत अदा करते हैं

इस तरह रस्म-ए-उलफत अदा करते हैं
बेवफाओं से भी हम वफा करते हैं
उनकी मर्जी वो भूलें तो भूलें हमें
हम उन्हें याद शामो सुबह करते हैं
इस तरह रस्म-ए-उलफत अदा करते हैं
और होंगे वो जिनको सताते हैं गम
हम तो गम में भी यारों मज़ा करते हैं
इस तरह रस्म-ए-उलफत अदा करते हैं
आंधियां मुझपे आएं या तूफां चले
हम दिये की तरह बस जला करते हैं
इस तरह रस्म-ए-उलफत अदा करते हैं
टूटा है दिल हमारा भले ‘राज’ अब
दिल न टूटे किसी का दुवा करते हैं
इस तरह रस्म-ए-उलफत अदा करते हैं
इस तरह रस्म-ए-उलफत अदा करते हैं
बेवफाओं से भी हम वफा करते हैं

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