किसी की याद जब आती है
तो कैसा लगता है
ये उससे पूछो जो रात भर
किसी की यादों में जगता है
न चैन मिलता है
न नींद आती है
बस करवट बदलते बदलते
रात बीत जाती है
उसी का चेहरा लगता है
कि है नजरों पे छाया
हर एक आहट में लगता है
कि बस वो ही आया
हर दूसरे पल कुछ
ऐसा एहसास होता है
न रहते हुए भी वो
जैसे पास होता है
न तो जलता है दिल
न ही बुझता है
धीरे धीरे हौले हौले
बस सुलगता है
किसी की याद जब आती है
तो कैसा लगता है
ये उससे पूछो जो रात भर
किसी की यादों में जगता है