यूँ आजमाया न करो

दिल तोड के मेरा जालिम मुस्कुराया न करो
मेरा प्यार इतना भी आजमाया न करो
तुमको ही तो देखने आता हूँ मैं तेरी गलियों में
मुझे देख के देखो खुद को यूँ छुपाया न करो
कैसे समझाऊं होती है दिल की बात अकेले में
यूँ सखियों को संग लेकर मिलने आया न करो
देख तुमको तुमपर कोई फूल फिदा न हो जाए
इतना सज धज कर गुलशन में जाया न करो
सीधा ही दिया करो जवाब “राज” की बातों का
बातों में फँसाकर बातें तुम उलझाया न करो
दिल तोड के मेरा जालिम मुस्कुराया न करो
मेरा प्यार इतना भी आजमाया न करो

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