वैलेंटाइन डे पर एक गांव का लडका जब साधारण तरीके से तीन चार लडकियों को प्रपोज करके थक गया तो उसने सोचा कि चलो अब अपने गांव वाले कातिल शायराना अन्दाज में किसी को प्रपोज करता हूँ। उसने देखा कि एक लडकी गार्डेन की बेंच पर अकेली बैठी है । ये वह लडकी है जिसे वह पहले भी एक बार प्रपोज कर चुका है और एक थप्पड़ के साथ रिजेक्ट कर दिया गया है । शायद वह लडकी किसी का इन्तजार कर रही थी लेकिन लडका प्यार के लिए इतना उतावला था कि उसने लडकी का चेहरा भी ठीक से देखना जरूरी नहीं समझा। लडका गया और उस लडकी के बगल बैठ गया, उसने इधर उधर देखा और फिर धीरे बोला…
“अपने लबों से चूम के मोहब्बत का जाम बना दो
मेरा प्यार कबूल कर लो और मेरा काम बना दो “
इतना सुनते ही लडकी ने उसकी तरफ देखा तो तुरंत पहचान गई, वह उठी और सैंडल निकाला और फिर..
दे दनादन ..दे दनादन ..दे दनादन।
इतने में दो चार लोग पहुंच गए।लडकी ने सैंडल पहना और उसी के अन्दाज में…..
“तूने क्या सोचा था कि मैं तेरा काम बना दूंगी
अरे, सुधर जा वरना पीट पीट के आशाराम बना दूंगी”
लडका आजतक कोमा में है और उसे अब देसी शायरियों का बिल्कुल भी शौक नहीं है।