शायरी की डायरी से

दिल की बातें दिल जानता है
आँखों की भाषा ये पहचानता है
जो तोड जाता है इसको ये अक्सर
उसी शख्स तो अपना मानता है
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बेताब निगाहों से कुछ इशारे कर दो
उजडे हुए गुलशन में भी बहारें भर दो
डूबती जा रही है जो गम के समन्दर में
जरा हँसकर मेरी वो कश्ती किनारे कर दो
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तेरे अटपट सवालों के जवाब दे दूं मैं
तेरी चंचल निगाहों में ख्वाब दे दूं मैं
फुरसत मिले तो अकेले मे आके मिल
तुझे अपनी मोहब्बत का गुलाब दे दूं मैं
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निखरने के लिए फूलों का तुम रंग ले लो
घर से बाहर निकलो जीने की उमंग ले लो
अकेले कब तलक घूमोगे जालिम दुनिया में
कभी हमराह बना लो हमें भी संग ले लो
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बेनूर हुए मेरे घर में नूर भर जाए
जर्रे जर्रे में इक रोशनी बिखर जाए
देने वाले ने तो सब कुछ दिया ही है
बस तू मिल जाए तो जिन्दगी सँवर जाए
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तेरी इन पलकों में मैं खो सा जाना चाहता हूँ
तुझसे मोहब्बत वाले रिश्ते निभाना चाहता हूँ
अब ऊब गया हूँ ईंटों के घर में रह रहकर मैं
तेरे दिल में मैं अपना घर बनाना चाहता हूँ
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खुशी देकर तुझे सारा गम ले लूंगा तेरा
सात जन्मों तक मैं साथ ना छोडूंगा तेरा
टूटना होगा तो मैं खुद ही टूट जाऊंगा
किसी भी हाल में दिल यार ना तोडूंगा तेरा
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जब जब दिल कि दिल से मुलाकात होगी
जब सच्चे दिल की सच्चे दिल से बात होगी
देख लेना दिल के दुश्मन ऐ जमाने वालों
सारी दुनिया में उस रोज जम के बरसात होगी

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