शायराना अन्दाज

लडखडाते कदमों का सहारा बन जाओ
मैं नजर बनूँ और तुम नजारा बन जाओ
घिर चुकी है जिन्दगी तूफानों में अब यार
मैं डूबती कश्ती हूँ तुम किनारा बन जाओ

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चढा हुआ दरिया उतर जाएगा

फूल खिला है तो निखर जाएगा

अपने कंधे पे तू दुपट्टा चढा ले वरना

देखकर तुझको तेरा दीवाना मर जाएगा

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तेरी आँखों में डूबकर ये दिल उभरता नही है

तेरी मोहब्बत का नशा आँखों से उतरता नही है

जब से तू मुस्कुराया है मुझे देखकर जालिम

तुझे देखे बिना अब वक्त मेरा गुजरता नही है

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बन जाऊं खुद कश्ती तुझे साहिल बना लूँ मैं

तेरी धडकन बनूँ और तुझको दिल बना लूँ मैं

बहुत ही बेकरार हूँ तुझको पाने के लाए आजा

राहे इश्क की हमदम तुझको मंजिल बना लूँ मैं

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कलम बनाकर जजबातों की ये पैगाम लिख दूँ

तेरे इस रेशमी आँचल पे अपना नाम लिख दूँ

करूँ कायम मैं तेरी बादशाहत इश्क में ऐसे

तुझे बेगम लिखूं और खुद को तेरा गुलाम लिख दूँ

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जब मुझे देखकर तुम ऐसे मुस्कुराती हो

हजारों वोल्टेज की बिजलियाँ गिराती हो

मेरी खातिर तुम्हारे दिल में कुछ है भी या

सिर्फ तडपाने मुझे गलियों में आती जाती हो

2 thoughts on “शायराना अन्दाज

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