सुना है तेरी आँखों में बसते हैं समन्दर
डूब गया वो जिस जिस ने देखा इनके अन्दर
सर से लेकर पांव तलक सुन्दर ही सुन्दर है
तेरी हर एक झलक लगती है जन्नत का मंजर
वैसे तो तेरी नजरें मासूम बहुत लगती हैं पर
तिरछी होकर देखें तो लगें कोई कातिल खंजर
जब से मिला हूं तुझसे तुझको सोच रहा हूँ
मेरे दिल पर कर दिया तूने ये कैसा मंतर
बहुत गुमां था मुझको हर इक जीत पे अबतक
तुझपे दिल हारा सब जीतने वाला मैं सिकन्दर
सुना है तेरी आँखों में बसते हैं समन्दर
डूब गया वो जिस जिस ने देखा इनके अन्दर